सेक्सी भाभी फक कहानी में मेरी भाभी हमारे घर आई. उन्होंने नहा कर एक फ्रॉक पहनी तो मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने रात को सोती हुई भाभी को छुआ. ( desi bhabhi sex )
मैं विक्रम हूँ, मेरी उम्र 21 वर्ष है. आज मैं आपके लिए एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ, जो हाल ही में मेरे साथ घटी थी.
आप सभी का मेरी सेक्सी भाभी फक कहानी में स्वागत है.
यह घटना मेरी भाभी से जुड़ी है, उनका नाम प्रिया है.
उनकी उम्र लगभग 35 वर्ष की रही होगी.
वे हुस्न की मल्लिका हैं, उनकी 34 इंच की कमर, मल्लिका शेरावत जैसी चिकनी पीठ इतनी सेक्सी है कि लफ्जों में बयां नहीं कर सकता.
उनके 38 इंच के नितंबों को देखकर तो किसी बूढ़े की नियत भी खराब हो जाए.
उनके स्तन बिल्कुल हापुस आम की तरह हैं जो एकदम सख्ती से अपनी नोकें उभार कर सबको ललचाते हैं और उनकी छाती की शोभा भी बढ़ाते हैं.
मैं शहर में रह कर पढ़ता हूँ और उस दिन किसी काम से गांव गया था.
उसी दिन भाभी भी आने वाली थीं.
मैं सुबह गांव पहुंचा तो मम्मी ने कहा- तुम जाकर बस स्टैंड से अपनी भाभी को ले आओ.
तो मैं गया और उन्हें लेकर घर आ गया.
उस वक्त तक मैं उन्हें गलत नजरों से नहीं देखता था.
मैं भाभी को घर छोड़ कर बाहर निकल गया और सारा दिन इधर-उधर टहलता रहा.
जब घर आया तो भाभी से मेरी थोड़ी-बहुत बात हुई.
शाम को मम्मी खाना बना रही थीं जबकि मैं और पापा बाहर बातें कर रहे थे.
अचानक से भाभी आईं और पता नहीं क्यों, मैं उन्हें देखता रह गया.
शायद इसलिए कि मैंने उन्हें हमेशा साड़ी में ही देखा था लेकिन उस वक्त वे एक बड़ी ही कामुक सी नाइट फ्रॉक में थीं.
सच में भाभी गज़ब की माल लग रही थीं.
उस वक्त वे एक 24 साल की जवान लौंडिया सी समझ आ रही थीं.
उनके रसभरे होंठ, हिरण जैसी आंखें और किसी सख्त पहाड़ी के दो शिखरों के जैसे उनके तने हुए स्तनों पर भाभी ने सफेद रंग का दुपट्टा डाला हुआ था.
वह दुपट्टा ऐसे लग रहा था, जैसे किसी ने हिमालय पर बर्फ की चादर डाल दी हो.
उनकी कमर और हल्का-सा उभरा हुआ पेट मस्त लग रहा था … आह क्या ही बताऊं … उन्हें देख कर मेरे जवानी के खंभे में करंट दौड़ने लगा.
उनके हिलते हुए नितंब बता रहे थे कि उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
मैं बस उन्हें छुप-छुपकर देख रहा था.
वे आकर कुर्सी पर बैठ गईं.
उस शाम के 9 बजे का समय हो रहा था.
बल्ब की हल्की रोशनी में मैं उन्हें देखता रहा और मेरे ( sex with bhabhi ) अरमान जागते गए!
रात हो गई थी.
हम सबने खाना खाया और मैं चारपाई लगाकर सोने चला गया.
मेरी आंख लगी ही थी कि अचानक कुछ आवाज़ हुई और मैं जाग गया.
वह आवाज़ भाभी और मम्मी की थी.
भाभी बोलीं- मैं भी यहीं चारपाई लगा लेती हूँ, ठंडा मौसम है बाहर!
मम्मी ने कहा- ठीक है.
भाभी ने चारपाई लगाई और लेट गईं.
उस हुस्न की मल्लिका को देखकर मेरे जवानी के खंभे में पुनः हलचल होने लगी.
मैं करवटें बदलने लगा.
अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था.
मैंने पतली-सी चादर ओढ़कर अपने सुडौल और कड़क हो चुके साढ़े सात इंच के लौड़े को सहलाना और हिलाना शुरू कर दिया.
भाभी पीठ करके सोई थीं.
नाइट फ्रॉक में उनके नितंब और पीठ के बीच की कमर किसी खाई-सी लग रही थी.
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मैं आपा खोने लगा … मैं मुठ मारने लगा.
तेज़ी से लंड हिलाने से मेरी चारपाई हिलने लगी और ‘चों-चों’ की आवाज़ होने लगी.
भाभी मुझसे एक हाथ की दूरी पर थीं.
शायद वे ठीक से सोई भी नहीं थीं.
मेरे दिमाग में अचानक devar bhabhi sex आने लगे !
फिर पता नहीं, कब … मदहोशी में मेरी चादर मेरे शरीर से हट गई.
उसी पल अचानक से भाभी ने करवट ली.
तो मैं हड़बड़ा गया और डर गया कि कहीं उन्होंने मुझे नंगा न देख लिया हो.
मैंने जल्दी से चादर ऊपर खींच ली, पर चादर के अन्दर मेरा लंड अभी भी नंगा था.
अब भाभी मेरी तरफ करवट करके लेटी थीं. उन्हें देखकर मैं फिर उत्तेजित होने लगा.
मेरे दिल में प्यार जाग रहा था कि उन्हें चूम लूँ, छू लूँ.
मैं उन्हें देखता हुआ चादर के अन्दर फिर से मुठ मारने लगा और मदहोश होने लगा.
कभी भाभी के पैर हिलते, तो पायल की आवाज़ आती. कभी उनके हाथ हिलते, तो चूड़ियों की खनक सुनाई देती.
शायद वे उस हल्के उजाले वाली रात में मुझे देख रही थीं.
मैंने उनकी तरफ देखा, तो उनकी आंखें बंद थीं. मुझे लगा जैसे वे सोने का नाटक कर रही हों.
मैं कुछ देर रुक गया.
उन्होंने फिर से करवट बदली और पीठ मेरी तरफ कर ली.
अब मैं चरम पर था, मेरा दिल सीने से फिसलने लगा. मैं bhabhi devar sex करने लगा इतना फिसल गया कि मैंने अपना आपा खोकर भाभी के नितंबों को छू लिया, फिर जल्दी से हाथ खींच लिया और रुक गया.
ये दिल कहां मानने वाला था, मैंने फिर उनके नितंबों को सहलाना शुरू किया.
वे थोड़ा हिली, तो मैं डरकर सोने का नाटक करने लगा.
दो मिनट बाद मुझसे रहा न गया.
मैंने धीरे से फिर से उनके नितंबों को सहलाना शुरू कर दिया और अपनी उंगलियों को उनके नितंबों की दरार तक ले गया.
अचानक उनका हाथ पीछे की तरफ आया, मैं डरकर फिर सोने का नाटक करने लगा.
फिर मेरी हिम्मत नहीं हुई.
कुछ देर बाद उन्होंने मेरी तरफ करवट ली.
मैंने उनके पैर पर अपने पैर से छुआ तो भाभी ने पैर पीछे खींच लिया.
कुछ देर बाद उन्होंने पैर थोड़ा आगे किया.
मैंने फिर पैर से छुआ, उन्होंने फिर से पीछे खींच लिया.
अब मुझे डर लग रहा था कि कहीं भाभी गुस्सा होकर डाँट न दें, जिससे सबको पता चल जाए और मेरी बदनामी हो कि मैं भाभी को गलत नजरों से देख रहा हूँ.
मैं डर के मारे सोने का ड्रामा करने लगा.
फिर कब नींद लग गई कुछ होश ही न रहा.
सुबह भाभी जाने को तैयार थीं.
उन्होंने मुझसे ऊँची आवाज़ में कहा- मुझे छोड़ेगा या मैं पैदल ही चली जाऊं बस स्टैंड?
पता नहीं वे गुस्सा थीं या कुछ और भाव में कह रही थीं.
मैंने कहा- भाभी , मुझे भी शहर जाना है. मैं चल रहा हूँ.
वे कुछ नहीं बोलीं, बस शांत रहीं और चली गईं.
पापा हमें बस स्टैंड तक छोड़ने आए.
हम दोनों बस का इंतज़ार करने लगे.
मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
हम दोनों बस में बैठे, हमें अलग-अलग सीटें मिलीं.
कुछ देर बाद हम दोनों उतर आए.
इसके बाद से मुझे शहर के लिए रेलवे स्टेशन की ओर जाना था तो मैंने उन्हें प्रणाम किया.
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भाभी ने दबी आवाज़ में कहा- खुश रहो!
मैं मुस्कुरा दिया.
फिर वे बोलीं- तुम तो स्टेशन जाओगे?
मैंने कहा- हां, भाभी !
वे बोलीं- उधर से किधर जाओगे?
मैंने कहा- मैं ट्रेन से शहर जाऊंगा.
वे बोलीं- मुझे भी साथ ले चल!
उनके इस जबाव से मैं सकपका गया कि यह क्या बात हुई?
मुझे लग रहा था की मैं bhabhi ke sath sex करने का मौका मिलेगा !
मैंने पूछा- आपको शहर में कुछ काम है क्या?
वे बोलीं- नहीं काम तो नहीं है, पर तेरे साथ शहर घूमने का मन कर रहा है.
मैंने कहा- मैं तो अपने हॉस्टल वाले कमरे पर जाऊंगा और उधर किसी को रोकने की परमीशन नहीं है भाभी !
वे बोलीं- एक दिन मेरे साथ कहीं और रुक जाना … तेरा मन नहीं है क्या?
उन्होंने जब यह कहा कि मन नहीं है तो मुझे ऐसा लगा, जैसे वे कह रही हों कि चुदाई का मन नहीं है क्या?
मैंने उन्हें देखा और दबी जुबान से कहा- हां मन तो है!
वे हंस दीं और मेरा हाथ पकड़ कर बोलीं- चल शहर चलते हैं.
अब हम दोनों स्टेशन आ गए और उधर से ट्रेन पकड़ कर शहर आ गए.
शहर आकर सबसे पहले मैंने घर पर मम्मी को फोन किया- मैं भाभी को अपने साथ लेकर शहर आ गया हूँ.उन्हें शहर में कुछ काम था तो शायद एक या दो दिन उनके साथ रुकना पड़ सकता है, उसके बाद मैं हॉस्टल चला जाऊंगा.
जब मैं मम्मी से बात कर रहा था.
उस वक्त भाभी के होंठों ने कुछ कहना चाहा लेकिन उन्होंने खुद को रोक लिया और वे चुप रहीं.
अब मैंने भाभी से कहा- क्या शहर में रुकने के लिए हम लोग होटल में कमरा ले लें!
वे बोलीं- हां और किसी अच्छे होटल में कमरा ले ले … एसी होना चाहिए और पैसे मैं दे दूँगी!
मैंने उनकी बात मानी और मोबाइल में अपनी समझ से एक बढ़िया होटल खोज कर पूछा- कमरा खाली है क्या?
उधर से हां का जबाव मिलते ही मैंने कमरा बुक कर दिया और जरूरी कागज अपने मोबाइल से होटल में दे दिए.
उसके बाद हम दोनों सीधे होटल आ गए और कमरे में आ गए.
उधर आते ही भाभी ने अपना जलवा दिखाया और मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
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मैं समझ गया कि रात की लीला अभी पूरी होनी है.
मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में भरा और उनके होंठों को चूसने चूमने लगा.
वे मेरे चुंबन करने के तरीके से समझ गई थीं कि लौंडा खेला खाया है.
भाभी ने मेरे लंड को कहा- कितने गोल दाग चुका है?
मैंने उनके दूध को मसलते हुए कहा- आपका छेद पांचवा होगा!
वे हंसने लगीं और मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- रात को बड़ी शैतानी कर रहा था तेरा यह खंबा!
मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू किए और कहा- पहले एक राउंड जल्दी वाला लगा लेते हैं भाभी … फिर बताता हूँ कि खंबा क्या कर रहा था!
वे मेरे होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- भाभी नहीं प्रिया बोल … अब चोदना भी है तो बराबर वाली बना कर चोद न!
मैंने भी अब तक उन्हें केवल पैंटी में ला दिया था.
अब मैंने उनकी पैंटी की इलास्टिक में अपनी उंगलियां फंसाते हुए उसे नीचे को खींचा.
फिर कहा- आज तुम्हारी चुत का भोसड़ा बना दूंगा! और फिर हमने चालू किया xxx hot sex bhabhi का खेल !
वे मेरे लौड़े को मसलती हुई बोलीं- मैं भी इसे कच्चा खा जाऊंगी.
हम दोनों एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े और मैंने उनकी चुत में अपना मुँह लगा दिया.
वे भी बोलीं- मुझे भी चूसना है.
हम दोनों पोजीशन में आ गए और वे मेरे लौड़े को चूसने लगीं.
मैं भाभी की चुत चाटने लगा.
कुछ ही देर में चुत लंड फुल फॉर्म में आ गए और हम दोनों ने सीधे लेट कर मिशनरी आसन में चुदाई की पोजीशन सैट कर ली.
hot sexy bhabhi की टांगों को फैला कर मैंने सुपारा चुत की फांकों में घुसा और अन्दर पेल दिया.
भाभी की आह निकली और मैं उनकी चुत में पिल पड़ा.
करीब आधा घंटा तक की धकापेल सेक्सी भाभी फक में मैंने भाभी को दो बार झड़ने पर मजबूर कर दिया.
वे मुझे चूम कर बोलीं- दो दिन कमरे से बाहर नहीं निकलूँगी. बस चुदाई ही होगी.
मैंने हंसकर हामी भर दी और उन्हें उठा कर बाथरूम में ले गया.
उधर नहाते हुए में उनकी डॉगी स्टाइल में चुदाई हुई, फिर रात को वोदका के साथ सेक्स का मजा लिया.
पूरे दो दिन में मैंने कई कई बार भाभी की चूत चोद दी.
वे मेरे साथ बहुत खुश थीं. दोस्तों आपको यह मेरी freesexkahani कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और हमारी वेबसाइट www.antarvasnaax.com पर डेली विजिट करें और आनंद लें !